Monday 1 May 2017

अल्जाइमर रोग 'भूलने का रोग' है

हॉस्पिटल में 60 वर्ष से अधिक उम्र के शिक्षा विभाग से रिटायर  श्री वर्मा जी आये। उन्हे भूलने की बीमारी हो गयी है। उनका परिवार ग्राम पिपरौद में रहता है। उनके परिवार को बालाजी हॉस्पिटल में डॉक्टरों की टीम ने   डॉ के के भोई ( न्यूरोलॉजिस्ट ) के नेतृत्व में  अल्जाइमर्स डायग्नोस किया और उसके बारे में जानकारी दी।





 अल्जाइमर  रोग 'भूलने का रोग' है। इसका नाम अलोइस अल्जाइमर पर रखा गया है, जिन्होंने सबसे पहले इसका विवरण दिया। इस बीमारी के लक्षणों में याददाश्त की कमी होना, निर्णय ले पाना, बोलने में दिक्कत आना तथा फिर इसकी वजह से सामाजिक और पारिवारिक समस्याओं की गंभीर स्थिति आदि शामिल हैं। रक्तचाप, मधुमेह, आधुनिक जीवनशैली और सर में कई बार चोट लग जाने से इस बीमारी के होने की आशंका बढ़ जाती है। अमूमन 60 वर्ष की उम्र के आसपास होने वाली इस बीमारी का फिलहाल कोई स्थायी इलाज नहीं है



अल्जाइमर्स के लक्षण एकदम से सामने नहीं आते, जिससे शुरूआती चरण में ही इसकी पहचान कर पाना थोड़ा मुश्किल होता है। कई बार यह बीमारी अपने आखिरी स्टेज  में पहुंच जाती है और रोगी की मानसिक हालत अत्यधिक खराब होने के बाद ही इलाज कराया जाता है।

"इस स्थिति में पहुंचने के बाद इलाज भी काफी मुश्किलों भरा हो जाता है और रोगी को पुन: उसी मानसिक स्थिति में पहुंचा पाना संभव नहीं हो पाता। यदि इसके शुरूआती लक्षणों की पहचान कर ली जाए तो फिर समस्या काफी हद तक सुलझ सकती है " डॉ के के भोई (न्यूरोलॉजिस्ट )



पहला स्टेज



यदि आपके किसी करीबी में इस समस्या की शुरुआत हुई है तो उनमें कोई भी लक्षण स्पष्ट रूप से नजर नहीं आएंगे। केवल पीईटी स्कैन के जरिए इस चरण पर समस्या का पता लगाया जा सकता है कि अल्जाइमर की समस्या है या नहीं।

दूसरा स्टेज



इस चरण पर भी आपको रोगी में किसी प्रकार का परिवर्तन नजर नहीं आएगा। लेकिन छोटी-छोटी चीजों में बदलाव हो जाता है, जिसकी पहचान डॉक्टर तक भी नहीं कर पाते हैं। कोई शब्द भूल जाना या चीजों का रखकर भूल जाना। इस चरण पर रोगी की रोजमर्रा की काम करने की क्षमता पर किसी प्रकार का प्रभाव नहीं पड़ता है। यूं तो उम्र बढ़ने के बाद भी इस प्रकार के लक्षण नजर सकते हैं और जरूरी नहीं कि ये अल्जाइमर्स के लक्षण हों।



तीसरा स्टेज



इस चरण पर रोगी के सोचने और तार्किक क्षमता पर प्रभाव पड़ता है। इसके लक्षण कुछ इस प्रकार के हो सकते हैं :

थोड़ी देर पहले पढ़ी हुई चीज भूल जाना
एक ही सवाल बार-बार पूछना।
योजना बनाने या व्यवस्था करने में परेशानी पेश आना।
नए लोगों से मिलने पर उनके नाम याद नहीं रहना।

 चौथा स्टेज


तीसरे चरण में नजर आने वाले लक्षण चौथे चरण में और भी गंभीर होकर उभरने लगते हैं। सोचने और तार्किक क्षमता पर गहरा असर होने लगता है। इसके साथ ही नई समस्याएं भी उभरने लगती हैं।

अपने बारे में ही जानकारी भूलने लगते हैं।
तारीख और मात्राएं याद रखने में परेशानी होती है।
कौन-सा महीना है या कौन-सा मौसम है, भूल जाते हैं।
खाना बनाने में परेशानी आती है या कई बार मैन्यू से डिशेज ऑर्डर करने में भी परेशानी होती है।

पांचवा स्टेज


बीमारी के इस चरण पर रोगी खुद से जुड़ी कई महत्वपूर्ण बातें गंभीर रूप से भूलने लगता है। वह कहां है और अभी कौन-सा समय है, अपना पता, फोन नंबर, उन्होंने कौन से स्कूल से पढ़ाई की थी, जैसी चीजें इसमें शामिल हैं। यहां तक कि इस मौसम में किस प्रकार के कपड़े पहनने चाहिए इसको लेकर भी वे दुविधा में  रहते हैं।



छटवां  स्टेज





अल्जाइमर की समस्या जैसे-जैसे बढ़ती जाती है रोगी को लोगों का चेहरा तो याद रहता है लेकिन उनके नाम भूल जाते हैं। काम पर नहीं होते हुए भी उन्हें लगता है कि काम पर जाना है। बातचीत करना मुश्किल हो जाता है लेकिन उनके सेंसेस के जरिए जुड़ा रहा जा सकता है। अल्जाइमर्स से पीड़ित कई रोगियों को संगीत सुनना, पढ़ना या पुरानी तस्वीरें देखना पसंद आता है।

सातवां स्टेज 





यह बीमारी का सबसे गंभीर चरण माना जाता है। बहुत ही छोटी-छोटी क्षमताएं जैसे खाना, चलना, उठना भी भूल जाते हैं। इस दौरान रोगी को आसानी से निगले जाने योग्य खाद्य पदार्थ या मुलायम चीजें खिलानी चाहिए, उन्हें चम्मच का इस्तेमाल करने में मदद करें और साथ ही पानी पिलाने में भी। इस चरण पर पहुंचकर अक्सर रोगी यह कहना भूल जाते हैं कि उन्हें प्यास लगी है।


(बालाजी हॉस्पिटल टिकरापारा  में इलाज के लिये संपर्क करें - 77475156 ,769401615 ,89995519 )


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