Monday 1 May 2017

हम कुछ ऐसे कदम ज़रूर उठा सकते हैं, जिन्हें अपनाने से बीमारी होने का खतरा कम हो सकता है और कई मामलों में तो शायद हमें बीमारी हो ही नहीं






ग्राम खोरपा ,अभनपुर ब्लॉक से करीब पैंतीस बच्चों की टीम बालाजी हॉस्पिटल टिकरापारा में भ्रमण के लिए आई हुई थी। उनके कोऑर्डिनेटर श्री सालिक राम जी ने डॉ सत्यजीत साहू से उनको अच्छी सेहत के बारे में बताने को कहा। उसी का अंश यहाँ पर प्रस्तुत है। 

हममें से कोई भी बीमार नहीं पड़ना चाहता है। जब हम बीमार पड़ते हैं, तो हमें बहुत परेशानी होती है, ऊपर से इसका खर्चा भी उठाना पड़ता है। हमें कुछ अच्छा नहीं लगता। न हम स्कूल जा पाते हैं, न ही काम की जगह पर। पैसा कमाना तो दूर, हम घरवालों की मदद तक नहीं कर सकते। उलटा शायद उन्हें हमारी देखभाल करनी पड़े। और-तो-और, कई बार इलाज करवाने और दवाइयाँ खरीदने के लिए बहुत पैसा लग जाता है।


कहा जाता है कि इलाज करवाने से बेहतर है कि हम एहतियात बरतें, ताकि हम बीमार ही न हों। माना कि कई बीमारियों से हम बच नहीं सकते। लेकिन


हम कुछ ऐसे कदम ज़रूर उठा सकते हैं, जिन्हें अपनाने से बीमारी होने का खतरा कम हो सकता है और कई मामलों में तो शायद हमें बीमारी हो ही नहीं। आइए ऐसी पाँच बातों पर गौर करें, जिन्हें ध्यान में रखने से आप अच्छी सेहत पा सकते हैं।


 1 साफ-सफाई का खयाल रखिए

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय का मानना है कि “बीमारी से बचने और उसे फैलने से रोकने का सबसे अच्छा तरीका है” अपने हाथ धोना। गंदे हाथों पर कीटाणु होते हैं और जब हम गंदे हाथों से नाक पोंछते हैं या आँखें मलते हैं, तो सर्दी-ज़ुकाम और फ्लू जैसी बीमारियाँ आसानी से फैल जाती हैं। ऐसी बीमारियों से बचने का सबसे अच्छा तरीका है समय-समय पर अपने हाथ धोते रहना। अगर हम साफ-सफाई का अच्छा ध्यान रखें, तो हम निमोनिया और दस्त जैसी गंभीर बीमारियों से बच सकते हैं, जिनसे हर साल 5 वर्ष से कम उम्र के करीब 20 लाख बच्चों की मौत हो जाती है। यहाँ तक कि सिर्फ अपने हाथ धोने से कई  जानलेवा बीमारी को फैलने से भी काफी हद तक रोका जा सकता है।


अपनी और दूसरों की सेहत को ध्यान में रखते हुए, कई मौकों पर हाथ धोना बहुत ज़रूरी होता है, जैसे:


शौचालय जाने के बाद।

डायपर बदलने के बाद या बच्चे को शौचालय ले जाने के बाद।

घाव या चोट पर दवा लगाने से पहले और उसके बाद।

किसी बीमार व्यक्‍ति से मिलने से पहले और उसके बाद।

खाना बनाने, परोसने और खाने से पहले।

छींकने, खाँसने और नाक साफ करने के बाद।

पशुओं और उनके मल को छूने के बाद।

कूड़ा-कचरा फेंकने के बाद।

क्या आपको लगता है कि आप अपने हाथ अच्छी तरह धोते हैं? ज़रा इस बात पर गौर कीजिए। आँकड़े बताते हैं कि सरकारी शौचालय इस्तेमाल करने के बाद बहुत-से लोग अपने हाथ साफ नहीं करते और अगर करते भी हैं, तो उन्हें अच्छी तरह नहीं धोते। तो सवाल उठता है कि आपको अपने हाथ कैसे धोने चाहिए?


हाथों पर पानी ढालिए और फिर साबुन लगाइए।

अपने दोनों हाथों को मलिए जब तक कि उनमें झाग न बन जाए, और अपने नाखूनों, अँगूठों, हाथों के पीछे और उँगलियों के बीच साफ करना मत भूलिए।

करीब 20 सेकंड तक ऐसा करते रहिए।

फिर साफ बहते पानी से हाथ धो लीजिए।

साफ तौलिए या टिशू-पेपर से हाथ पोंछिए।

शायद हमें ये बातें मामूली लगें, लेकिन इन्हें मानने से बीमारियाँ कम फैलेंगी और कई जानें बच सकती हैं।


 2 साफ पानी इस्तेमाल कीजिए

कई स्थानों में साफ पानी आसानी से नहीं मिलता इसलिए लोगों को हर रोज़ अपने परिवार के लिए साफ पानी का इंतज़ाम करना पड़ता है। लेकिन जहाँ  यह समस्या नहीं है, वहाँ भी बाढ़, आंधी-तूफान, पानी की पाइप टूटने या किसी दूसरी वजह से साफ पानी मिलना मुश्किल हो सकता है। अगर पानी साफ जगह से नहीं आ रहा है या अच्छे से नहीं रखा गया है, तो इससे हमारे पेट में कीड़े पड़ सकते हैं और हमें हैज़ा, जानलेवा दस्त, टाइफाइड, हेपेटाइटिस और दूसरी बीमारियाँ हो सकती हैं। पीने का पानी साफ न होने की वजह से हर साल करीब 170 करोड़ लोग दस्त के शिकार हो जाते हैं।


हम कुछ ऐसे कदम उठा सकते हैं, जिससे हमारी सेहत सुधर सकती है और कई मामलों में तो शायद काफी समय तक हमें बीमारियाँ हों ही नहीं

हैज़ा आम तौर पर ऐसे पानी या खाने से फैलता है, जो हैज़े से पीड़ित व्यक्‍ति के मल से दूषित हो। पानी से आम तौर पर फैलनेवाली या किसी बाढ़-भूकंप के बाद फैलनेवाली बीमारियों से बचने के लिए आप यहाँ बताए कुछ कदम उठा सकते हैं।


इस बात का ध्यान रखिए कि पीने का पानी और जिस पानी से आप अपने दाँत साफ करते हैं, बर्फ जमाते हैं, फल-सब्ज़ियाँ और बरतन साफ करते हैं और खाना बनाते हैं, वह साफ हो, फिर चाहे वह नगरपालिका की तरफ से साफ किया गया हो या फिर किसी अच्छी कंपनी का बोतल-बंद पानी हो।

अगर आपको लगता है कि नगरपालिका की तरफ से आनेवाला पानी दूषित हो गया है, तो उस पानी को इस्तेमाल करने से पहले उसे उबाल लीजिए और उसमें दवाई डालकर उसे साफ कर लीजिए।

जब आप पानी साफ करने के लिए क्लोरीन या कोई दूसरी दवाई इस्तेमाल करते हैं, तो उसे सही मात्रा में डालिए।

हो सके तो बढ़िया किस्म के पानी का फिल्टर खरीदिए।

पानी को हमेशा साफ बरतन में ढककर रखिए जिससे कि वह गंदा न हो।

घड़े या किसी बरतन से पानी निकालने के लिए हमेशा साफ बरतन का इस्तेमाल कीजिए।

बरतन में पानी भरने या उससे पानी लेने से पहले हाथ धोइए और पीने के पानी में हाथ या उँगलियाँ मत डालिए।

 3 अपने खान-पान पर ध्यान दीजिए

अच्छी सेहत के लिए ज़रूरी है कि आप पौष्टिक खाना खाएँ। इस बात का ध्यान रखिए कि आपके खाने में नमक, चिकनाई और मीठा सही मात्रा में हो और आप ज़रूरत से ज़्यादा खाना न खाएँ। तरह-तरह की फल और सब्ज़ियाँ खाएँ। ब्रेड, अनाज, नूडल्स और चावल जैसी चीज़ें खरीदते वक्‍त, उनके पैकेट पर दी गयी जानकारी पर ध्यान दें। छिलकेदार अनाज सेहत के लिए मैदे से बनी चीज़ों से बेहतर होता है। जहाँ तक खाने में प्रोटीन का सवाल है, अगर आप मांस-मच्छी खाते हैं, तो बगैर चरबीवाला थोड़ा-सा ही मांस खाइए और हो सके तो हफ्ते में दो-तीन बार मछली खाइए। कई देशों में शाकाहारी लोगों के लिए भी काफी मात्रा में ऐसी चीज़ें मिलती हैं जिनमें प्रोटीन होता है।


ज़्यादा मीठा और चिकना खाना खाने से मोटे होने का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए शरबत और कोल्ड-ड्रिंक पीने के बजाय पानी पीएँ। कुछ मीठा खाने के बजाय ज़्यादा फल खाएँ। मांस, मक्खन, केक, चीज़ और बिस्कुट जैसी चीज़ें ज़्यादा मात्रा में न खाएँ, जिनमें चिकनाहट होती है। खाना बनाने के लिए मक्खन, वनस्पति घी जैसी चीज़ों का इस्तेमाल करने के बजाय, ऐसे तेल का इस्तेमाल कीजिए जो सेहत के लिए फायदेमंद हो।


खाने में ज़्यादा नमक लेने से ब्लड प्रेशर (रक्‍तचाप) बढ़ सकता है, जो सेहत के लिए नुकसानदेह है। अगर आपका ब्लड प्रेशर ज़्यादा है, तो खाने की चीज़ें खरीदते वक्‍त पैकेट पर दी जानकारी देखिए कि उनमें कितना नमक है।


आप जो खाते हैं उसका तो आपकी सेहत पर असर पड़ता ही है, लेकिन आप कितना खाते हैं वह भी बहुत मायने रखता है। खाने का पूरा-पूरा मज़ा लीजिए, लेकिन उतना ही खाइए जितनी आपको भूख है।


अगर खाना सही तरह से तैयार न किया गया हो या ठीक से रखा न गया हो, तो तबियत खराब हो सकती है। एक पत्रिका में बताया गया था कि खाना खराब होने की वजह से आए दिन लोग बीमार पड़ जाते हैं और कई लोगों की मौत भी हो जाती है। ऐसी बीमारी से बचने के लिए आप नीचे दिए कदम उठा सकते हैं।


जहाँ सब्ज़ियाँ उगायी गयी हैं, हो सकता है वहाँ खाद डाली गयी हो, इसलिए उन्हें पकाने से पहले अच्छी तरह धोइए।

खाना पकाने से पहले अपने हाथों को, जिस पर आप सब्ज़ी काटते हैं, पकाने की जगह और बरतनों को गर्म पानी और साबुन से अच्छी तरह धोइए।

अगर किसी बरतन में कच्चा अंडा या कच्चा मांस या मछली रखी हुई थी, तो उस बरतन को धोने के बाद ही उसमें खाना रखिए।

खाने को अच्छी तरह पकाइए। अगर आप जल्दी खराब होनेवाली चीज़ों को उसी वक्‍त नहीं खानेवाले हैं, तो उन्हें फौरन फ्रिज में रख दीजिए।

अगर जल्दी खराब होनेवाली चीज़ें दो घंटे से बाहर रखी हों, तो उन्हें फेंक दीजिए। अगर तापमान 32 डिग्री से ज़्यादा है और खाना एक घंटे से बाहर रखा है, तो उसे फेंक दीजिए।

 4 कसरत कीजिए

चाहे आपकी उम्र जो भी हो, चुस्त-दुरुस्त रहने के लिए आपको रोज़ कसरत करनी चाहिए। आजकल कई लोग उतनी कसरत नहीं करते, जितनी उन्हें करनी चाहिए। कसरत करना क्यों ज़रूरी है? कसरत करने से आपको ये फायदे होंगे:


आपको अच्छी नींद आएगी।

आपको चलने-फिरने में कोई परेशानी नहीं होगी।

आपकी मांस-पेशियाँ और हड्डियाँ मज़बूत रहेंगी।

आप मोटापे के शिकार नहीं होंगे।

मुमकिन है कि आप निराशा के शिकार नहीं होंगे।

मुमकिन है कि आपकी उम्र लंबी होगी।

कसरत न करने से आपको ये बीमारियाँ हो सकती हैं:


दिल की बीमारी हो सकती है।

शुगर की बीमारी (टाइप 2 डायबिटीज़) हो सकती है।

ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है।

कोलेस्ट्रॉल बढ़ सकता है।

स्ट्रोक हो सकता है।

आपकी उम्र और सेहत पर निर्भर करता है कि आपको किस तरह की कसरत करनी चाहिए। इसलिए कसरत शुरू करने से पहले आपको अपने डाक्टर से सलाह-मशविरा करना चाहिए कि इस तरह की कसरत आपके लिए सही रहेगी या नहीं। कई जानकारों का कहना है कि बच्चों और नौजवानों को हर रोज़ कम-से-कम 60 मिनट तक कसरत करनी चाहिए और बड़ों को हर हफ्ते कम-से-कम 150 मिनट तक हलकी-फुलकी कसरत या 75 मिनट तक अच्छी तरह कसरत करनी चाहिए।


कसरत करने के लिए आप कुछ ऐसा कर सकते हैं, जिसमें आपको मज़ा आए, जैसे बास्केटबॉल, टेनिस या फुटबाल खेलना, साइकिल चलाना, बागबानी करना, लकड़ी काटना, तैरना, नाव चलाना, दौड़ लगाना या इस तरह की कोई दूसरी कसरत। आप यह कैसे पता लगा सकते हैं कि आप हलकी-फुलकी कसरत कर रहे हैं या अच्छी कसरत कर रहे हैं? अगर आप हलकी-फुलकी कसरत कर रहे हैं, तो आपको पसीना आने लगेगा, लेकिन अगर आप अच्छी तरह कसरत कर रहे हैं, तो कसरत करने के साथ-साथ आपके लिए किसी से बातचीत करना बहुत मुश्किल होगा।


 5 भरपूर नींद लीजिए

सभी लोग अपनी-अपनी ज़रूरत के हिसाब से सोते हैं। नए जन्मे बच्चे हर दिन अकसर 16 से 18 घंटे सोते हैं, 1 से 3 साल के बच्चे 14 घंटे सोते हैं और 3 से 4 साल के बच्चे 11 से 12 घंटे सोते हैं। स्कूल जानेवाले बच्चों को कम-से-कम 10 घंटे सोना चाहिए, किशोर बच्चों को 9 से 10 घंटे सोना चाहिए और बड़ों को 7 से 8 घंटे तक सोना चाहिए।


आराम करने की बात को हलके में मत लीजिए। जानकारों का कहना है कि अच्छी नींद लेना ज़रूरी है क्योंकि इससे:


बच्चों और नौजवानों का मानसिक और शारीरिक विकास होता है।

हम नयी-नयी बातें सीख पाते हैं और उन्हें याद रख पाते हैं।

शरीर में हार्मोन का सही संतुलन बना रहता है, जिसका हाज़मे और वज़न पर असर पड़ता है।

दिल की बीमारी होने का खतरा कम हो सकता है।

हम कई बीमारियों से बचे रह सकते हैं।

ऐसा पाया गया है कि नींद की कमी की वजह से मोटापा, निराशा, डायबिटीज़, दिल की बीमारी और दुर्घटनाएँ हुई हैं। इससे साफ हो जाता है कि अच्छी नींद लेना इतना ज़रूरी क्यों है।


अगर आपको नींद नहीं आती या आपकी नींद पूरी नहीं होती, तब आप क्या कर सकते हैं? नीचे दिए कुछ तरीके आज़माइए।


हर रोज़ तय समय पर सोने और उठने की कोशिश कीजिए।

कोशिश कीजिए कि जहाँ आप सोते हैं, वहाँ शांति और अँधेरा हो और कमरा न ज़्यादा ठंडा हो और न ज़्यादा गर्म।

जब आप सोने जाते हैं, तो टी.वी मत देखिए और न ही मोबाइल वगैरह का इस्तेमाल कीजिए।

बिस्तर को आरामदायक बनाइए।

सोने से पहले ज़्यादा मत खाइए, चाय-कॉफी या शराब मत पीजिए।

अगर इन सुझावों को लागू करने के बाद भी आपको नींद नहीं आती या फिर दिन में नींद आती हैं या सोते वक्‍त साँस लेने में तकलीफ होती है, तो डॉक्टर को दिखाइए।

(बालाजी हॉस्पिटल टिकरापारा  में इलाज के लिये संपर्क करें - 77475156 ,769401615 ,89995519 )

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