Friday, 28 April 2017

हार्ट फेलियर का मतलब है कि हृदय ठीक से पंप नहीं कर रहा है, जैसा इसे करना चाहिए

"पैरों में सूजन बीमारी का संकेत है "
क्या आपने अपने पैरों में सूजन देखी है जो सुबह में कम और दिन चढऩे के साथ बढ़ बढ़ जाती हो? यह हृदय की बीमारी के बढऩे की चेतावनी हो सकती है...

पैरों और टखनों में सूजन और इसके साथ सांस फूलना, बेहद थकान, वजन कम होना, लगातार खांसी और हृदय की तेज धड़कन-हार्ट के काम करने की गति कम होने यानी हार्ट फेलियर के लक्षण हो सकते हैं। पैरों और टखनों की सूजन शरीर में तरल जमा होने से होती है जो खराब होते हार्ट का संकेत हो सकती है। पैरों में तरल जमा होने का कारण हृदय से खून का प्रवाह कम होना होता है। इससे पेट और शरीर के निचले हिस्से में तरल जमा होता है और प्रवाह बाधित होता है।
हार्ट फेलियर के लक्षण हमेशा स्पष्ट नहीं होते हैं। मुमकिन है कि कुछ लोगों में हार्ट फेलियर के बहुत ही शुरुआती चरण में कोई लक्षण हो ही नहीं। हार्ट फेलियर के लक्षण अक्सर धीरे-धीरे सामने आते हैं। सबसे पहले, ये ऐसे ही समय में हो सकते हैं, जब आप बहुत सक्रिय हों। कुछ समय बाद आपको सांस लेने में समस्या महसूस हो सकती है और फिर अन्य लक्षण तब सामने आते हैं, जब आप आराम कर रहे हों। हृदय जब हार्ट अटैक या किसी अन्य कारण से क्षतिग्रस्त हो जाए तो लक्षण अचानक भी सामने सकते हैं।
लोग थकान और सांस फूलने जैसे लक्षणों को बढ़ती उम्र के संकेत के रूप में अनदेखा कर देते हैं। हालांकि, कभी-कभी हृदय पर्याप्त खून पंप करने और आपके अंगों- किडनी और मस्तिष्क को इसकी सह्रश्वलाई करने में सक्षम नहीं होता है तो आप कई तरह के लक्षण महसूस कर सकते हैं। इनमें रात में ज्यादा पेशाब आना, याददाश्त कम होना और भ्रम शामिल हैं।

हार्ट फेलियर का आम कारण कोरोनरी आर्टरी डिजीज यानी छोटी रक्त कोशिकाओं का संकरा होना है जो हृदय को खून और ऑक्सीजन की सह्रश्वलाई करती है। इससे हृदय की मांसपेशियां कुछ समय में या अचानक कमजोर हो सकती हैं। अनियंत्रित उच्च रक्तचाप दूसरा कारण है जो हृदय की मांसपेशियों में सख्ती लाता है और आखिरकार मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं।
'हार्ट फेलियर' सुनने में ऐसा लगता है जैसे हार्ट काम नहीं कर रहा है और इसके बाद कुछ नहीं किया जा सकता है। दरअसल, हार्ट फेलियर का मतलब है कि हृदय ठीक से पंप नहीं कर रहा है, जैसा इसे करना चाहिए।
हमारा शरीर हृदय की पंपिंग पर निर्भर करता है और इसी से ऑक्सीजन और पोषण के लिहाज से समृद्ध खून शरीर की कोशिकाओं में पहुंचता है। जब कोशिकाएं उपयुक्त ढंग से पोषित होती हैं तो शरीर सामान्य ढंग से काम कर सकता है। हार्ट फेलियर की स्थिति में कमजोर हृदय कोशिकाओं को पर्याप्त खून की आपूर्ति नहीं कर पाता है।
हार्ट फेलियर के मामले में आपके लक्षण भी दूसरों से मिलें, यह जरूरी नहीं है। कोई भी निश्चित रूप से यह नहीं बता सकता है कि किसे ऐसा होगा पर जोखिम घटक ज्ञात हैं। जोखिम घटकों की जानकारी होने और शुरू में ही उपचार के लिए डॉक्टर को दिखाना हार्ट फेलियर के बचाव का सबसे बेहतर उपाय है।
हार्ट फेलियर के जोखिम घटकों में उच्च रक्तचाप (हाइपर टेंशन) हार्ट अटैक (मायोकार्डियल इंफारक्शन), असामान्य हार्ट वाल्व, हृदय का बड़ा होना (कार्डियोमायोपैथी), हृदय की बीमारी और डायबिटीज का पारिवारिक इतिहास शामिल हैं।
वैसे तो हार्ट फेलियर गंभीर स्थिति है और इसमें तत्काल चिकित्सा सहायता की आवश्यकता होती है पर जैसा कि इसके नाम से लगता है, इससे मौत होना जरूरी नहीं है। अच्छी तरह इलाज किया जाए तो मरीज सामान्य जीवन जी सकता है और बार-बार कार्डियोलॉजिस्ट के पास जाने की आवश्यकता नहीं होती है। सही उपचार से आपके हृदय को सहायता मिलेगी और यह सामान्य ढंग से काम कर पाएगा।

हार्टफेलियर की स्थिति में पहली पंक्ति का उपचार दवाइयां और जीवनशैली में सुधार है। जो मरीज हार्ट फेलियर की एडवांस स्टेज में हैं, उनके मामले में कार्डियक रीसिनक्रोनाइजेशन थेरेपी (सीआरटी) को हार्ट फेलियर के उपचार के प्रभावी रूपों में एक माना जाता है। इसमें इंह्रश्वलांट करने योग्य एक उपकरण का उपयोग किया जाता है जो हृदय की पंप करने की कार्यकुशलता को बेहतर करता है। हार्ट फेलियर के जिन मरीजों के हृदय में बिजली के कंडक्शन से संबंधित समस्या होती है, उनके मामले में रीसिनक्रोनाइजेशन थेरेपी हृदय से पूरे शरीर में खून का प्रवाह बेहतर करती है। परिणामस्वरूप लक्षण कम हो सकते हैं। तब अस्पताल जाने और मृत्यु की आशंका भी कम हो जाती है।


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